नेपाल की जेन-Z क्रांति का नया अध्याय: सुशीला कार्की बनी पीएम , महिला सशक्तिकरण या राजनीतिक समझौता?
फटाफट पढ़े- नेपाल में Gen-Z प्रदर्शनों के बाद सुशीला कार्की की अंतरिम PM नियुक्ति 12 सितंबर 2025 को राष्ट्रपति पौडेल ने शपथ दिलाई। पृष्ठभूमि: अस्थिर राजनीति, भ्रष्टाचार से उपजा विद्रोह। जनता की राय: उत्साह लेकिन निराशा, युवा बालेन शाह चाहते थे। कुल: महिला सशक्तिकरण का कदम, लेकिन चुनौतियां बरकरार।नेपाल की यह क्रांति सवाल छोड़ती है: क्या कार्की जेन-Z के सपनों को हकीकत बनाएंगी, या यह सिर्फ एक अस्थायी शांति है? आगे देखते हैं।
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 13 सितंबर 2025, 04:30 AM IST
लेखक दीपक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
काठमांडू /नई दिल्ली :- नेपाल में जेन-Z के हिंसक प्रदर्शनों ने देश को हिला दिया है, जहां भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ युवाओं ने सड़कों पर उतरकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को उखाड़ फेंका। इस राजनीतिक संकट के बीच शुक्रवार (12 सितंबर 2025) को पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार की कमान सौंपी गई। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें शपथ दिलाई, जो नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बन गई हैं। कार्की, जो 2016-2017 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं, अब चुनाव तक सरकार चलाएंगी। लेकिन क्या यह जेन-Z की जीत है, या पुरानी व्यवस्था का नया चेहरा? प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू मेयर बालेन शाह को PM बनाने की मांग की थी, लेकिन कार्की की नियुक्ति एक समझौते का नतीजा लगती है।
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नेपाल की पृष्ठभूमि: अस्थिरता की जड़ें और जेन-Z का विद्रोह
नेपाल की राजनीति हमेशा से अस्थिर रही है—2008 में राजतंत्र का अंत होने के बाद 13 सरकारें बदल चुकी हैं। भ्रष्टाचार, जातीय विभाजन, और आर्थिक असमानता ने देश को जकड़ रखा है। 2025 के प्रदर्शन सितंबर में शुरू हुए, जब जेन-Z ने सोशल मीडिया बैन, बेरोजगारी, और महंगाई के खिलाफ आवाज उठाई। प्रदर्शन हिंसक हो गए—संसद में आग लगाई गई, 18 छात्र मारे गए, और सेना उतारनी पड़ी। ओली की सरकार गिर गई, और अंतरिम नेतृत्व की मांग उठी। सुशीला कार्की, 72 वर्षीय पूर्व CJ, की नियुक्ति UN और अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा स्वागत की गई, लेकिन स्थानीय स्तर पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। नेपाल की 3 करोड़ जनसंख्या में 40% युवा हैं, जो बदलाव चाहते हैं—यह क्रांति एशिया में युवा सक्रियता का नया पैटर्न है, जैसे बांग्लादेश और श्रीलंका में।
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नेपाल की आम जनता की राय: उत्साह, निराशा और सतर्क आशावाद
नेपाल की जनता की राय बंटी हुई है। कई लोग कार्की की नियुक्ति को "ऐतिहासिक" मानते हैं, खासकर महिलाओं के लिए। एक स्थानीय ने कहा, "पहली महिला PM—यह सशक्तिकरण का संकेत है।" लेकिन जेन-Z प्रदर्शनकारी निराश हैं, क्योंकि वे बालेन शाह जैसे युवा नेता चाहते थे। सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं: "कार्की अनुभवी हैं, लेकिन क्या वे युवाओं की आवाज सुनेंगी?" कुछ कहते हैं, "यह पुरानी सिस्टम का चालाकी है—चुनाव तक शांत रखना।" कुल मिलाकर, 60% जनता आशावादी है, लेकिन 40% को डर है कि सुधार न होंगे। UN ने भी चिंता जताई कि शांति बनी रहे।
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युवाओं का दर्द और एक महिला की उम्मीद
कल्पना कीजिए, एक 20 वर्षीय छात्र जो प्रदर्शन में शामिल हुआ, अपने दोस्त की मौत देखी—उसका गुस्सा अब आशा में बदल रहा है, लेकिन क्या कार्की उनकी आवाज बनेंगी? सुशीला कार्की की कहानी प्रेरणादायक है: एक साधारण परिवार से उठकर पहली महिला CJ बनीं, उन्होंने भ्रष्टाचार पर कड़े फैसले लिए। लेकिन जेन-Z का दर्द गहरा है—बेरोजगारी से मजबूर युवा देश छोड़ रहे हैं, माताएं शहीद बच्चों के लिए रो रही हैं। कार्की की शपथ एक महिला की जीत है, लेकिन क्या यह युवाओं के सपनों का बोझ उठा पाएगी? यह इंसानी संघर्ष है—आग से निकलकर नई रोशनी की तलाश।
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